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हमारी जिन्दगी के पछतावे

हेल्लो दोस्तों! इस पोस्ट का टाइटल पढ़ के हो सकता है कि आप को अटपटा से महसूस हो रहा हो मगर ये पोस्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मैंने अभी जल्दी में यह बुक पढ़ी और मुझे लगा कि इस बुक के बारे में जरुरी बातों को आपके साथ शेयर करना चाहिये, ये बुक हमारी जिन्दगी के कुछ रेग्रेट्स के बारे में बताती है। जिनके बारे में हमें जानना जरुरी है। चलिए मैं अब शुरु करता हूँ।
यह बुक एक ऑस्ट्रलियन नर्स “ब्रॉनी वेयर” के जीवन अनुभवों पर लिखी उनकी ही किताब “टॉप 5 रेग्रेट्स ऑफ़ दा डाईंग” (अंतिम समय के 5 सबसे बड़े पछतावे) के हिंदी सारांश को प्रस्तुत करती है। ब्रॉनी वेयर ने कई सालों तक हॉस्पिटल के उस हिस्से में काम किया था जहां उन मरीजों को रखा जाता है जिनके जीवित रहने की संभावना 12 सप्ताह यानिकी 3 महीने से भी कम ही हो। ब्रॉनी वेयर ने मरते हुए मरीजों के अंतिम क्षणों के अनुभवों को अपने एक ब्लॉग में लिखना शुरू किया और पाया कि अंतिम वक्त लोग अक्सर तरह-तरह के पछतावे के साथ अपने शरीर को त्यागते हैं। ब्रॉनी वेयर ने बहुत ही सुंदर तरीके से लिखा है कि लोग अंत समय में जीवन के मत्वपूर्ण पहलुओं और मकसद को गहराई से समझते हैं और फिर अपनी तमाम उम्र इन सब से अनजान रहने पर पछतावा भी करते हैं।
अगर हम इन पहलुओं को आज ही समझ जाएं तो अपने जीवन को सही तरीक़े से जीना सीख सकते हैं। आइये जानते हैं कि 5 ऐसे कौन से पछतावे है जो इंसान मरते वक्त करता है।

regrets
1) काश मुझमे इतनी हिम्मत होती कि मैं वो जीवन जी पाता जो मैं जीना चाहता था न कि वो जीवन जो दूसरे लोग मुझसे उम्मीद करते थे
यह लोगों का सबसे बड़ा पछतावा होता है। जब लोग अपने अंत समय में होते हैं तो वो ये जान पाते हैं कि दूसरों के मुताबिक जीते-जीते कितने ही ऐसे काम या सपनें थे जिन्हें वो पूरा न कर सके। और फिर ये महसूस करते हैं कि उनके पास अपने सपनों को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय, स्वास्थ्य और साधन थे मगर कुछ गलत और अनचाहे विकल्पों को चुनने के कारण ये सब हासिल नहीं कर सके। लोग इस बात का पछतावा करते है कि क्यों जीवन भर कोई भी काम करने या निर्णय लेने से पहले ये सोचते रहे कि “लोग क्या सोचेंगे”

2) काश मैंने अपने बच्चों और परिवार को ज्यादा समय दिया होता और इतना ज्यादा मेहनत न की होती
ब्रॉनी वेयर लिखती है कि यह बात हर एक ने कही है कि भागती-दौड़ती दुनिया के साथ बने रहने के लिए उन्होंने बहुत ज्यादा मेहनत की और अपने काम मे हद से ज्यादा व्यस्त रहे। इस बीच अपने बच्चों को उनके बचपन में अच्छा समय नहीं दे पाए।

3) काश मुझमे अपने दिल की बात बताने की हिम्मत होती
बहुत से लोग सिर्फ इसलिए अपने दिल की बात या फीलिंग दबा देते हैं ताकि वो सबको खुश देख सके। इसलिए वो सिर्फ एक समझौता से भरा जीवन जीते हैं। और फिर जब अंतिम समय पर पहुंचते हैं तो अपने आप से असंतुष्ट और नाराजगी से भर जाते हैं इसी से संबंधित बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं। काश मुझमे इतना आत्मविश्वास होता कि मैं अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेता न कि दूसरों के लिए निर्णय के हिसाब से अपना जीवन जीता।

4) काश कि मैं अपने बचपन के जवानी के दोस्तों से दोस्ती कायम रखता
अक्सर लोग तब तक पुराने दोस्तों के महत्व को महसूस नहीं कर पाते हैं जब तक वो अपने अंतिम दिनों में न पहुँच जाएँ। और फिर अंतिम समय में उन्हें ढूँढ पाना और मिल पाना भी मुश्किल होता है। बहुत से लोग अपने जीवन मे उलझे रहते हैं और फिर अपने पुराने रिश्तों को समय और अहमियत न देने पाने के कारण बहुत दूर होते चले जाते हैं। सभी लोग अपने अंतिम दिनों में अपने दोस्तों को बहुत ज्यादा याद करते हैं।

5) खुश रहना एक चॉइस होती है। काश मुझे ये पहले मालूम होता
आश्चर्यजनक रूप से यह भी सभी लोगों के अंतिम समय का एक अहम पछतावा होता है। बहुत से लोग अंतिम समय तक ये नहीं समझ पाते हैं कि “खुशी” या खुश रहना एक "चॉइस" होती है। इसका मतलब ये हुआ कि खुश रहना एक चॉइस है जो किसी भी बाहरी चीज से संबंध नही रखती है। खुश रहने का विकल्प हमेशा ही लोगों के पास होता है मगर अपनी ही मानसिकता की गुलामी करने की आदत लोगों को जकड़े रहती है। लोग ये सोचकर बहुत पछतातें है कि वो अपने जीवन मे खुश नहीं रह सके और इसका कारण केवल वो स्वयं ही थे। न जाने क्यों तरह तरह के ख्याली डर के साये में लोग जीते हैं और न जाने क्यों भविष्य को सुरक्षित करने में अपने दिन रात लगा देते हैं और फिर अंतिम समय मे महसूस करते हैं कि भविष्य की जिस ख़ुशी के लिए वो ताउम्र दौड़ते रहे वो भविष्य तो अब बचा ही नहीं है। लोग अंतिम समय मे महसूस करते हैं कि हर परिस्थिति में ही खुश रहना उनके अपने हाथ में था क्योंकि न तो जीवन सदा रहने वाला था न ही परिस्थितियाँ।

दोस्तों, ये 5 रेग्रेट्स हमें सीखा कर जाते है कि जीवन का मतलब ही है कि आप अपनी आत्मा की आवाज पहचानें और अपने आप को पूरी तरह एक्सप्रेस करें। जीवन का मतलब ही है एक ऐसा सफर जहाँ आप अपने आपको खोजते हैं और फिर अपने आप को पूर्ण तरीके से इस दुनिया में अभिव्यक्त करते हैं।

तो फिर क्यों न आज ही आप भी अपने भीतर झांक कर अपने आप को टटोलें और देखें कि कहीं आपके अंदर भी किसी तरह का कोई पछतावा तो नहीं है। अगर है तो तुरंत ही सुलझाएं और आगे के जीवन को इस तरह जियें कि फिर कोई पछतावा न रह जाये।

कुछ सुझाव हो तो कमेंट में लिखें
धन्यवाद!!

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