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'पॉजिटिव रहें' एक गलत बात है

हेल्लो दोस्तों! और सब बढिया मेरी पोस्ट का टाइटल आपको थोड़ा अजीब सा लग रहा होगा और लगे भी कैसे नहीं, आज तक तो हम ये ही तो सुनते आ रहें हैं "पॉजिटिव रहें" और मैंने अपनी पोस्ट का टाइटल "पॉजिटिव रहें एक गलत बात है" लिखा है, ये तो मैंने पूरा उल्टा ही कह दिया। आपके मन में इस तरह के विचार आ रहें होंगे चलिए मैं आपको इसे समझाने की कोशिश करता हूँ कि मैं क्या कहना चाह रहा हूँ, ये आपके लिए एक नई बात होगी इसलिए आपको मेरी बात हो सकता है बहुत अजीब लगे, चलो छोड़ो! मैं अब अपनी बात स्टार्ट करता हूँ आप जैसा चाहे सोचो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

आज का हमारा माहौल 'पॉजिटिव-पॉजिटिव' के नाम पर वास्तविकता से कोसों दूर पॉजिटिव अपेक्षाओं पर पागलों की ज़ोर दे रहा है ज्यादा खुश रहो, ज्यादा स्वस्थ बनो, बेस्ट बनो, दूसरो से बेहतर बनो इतने ज्यादा स्मार्ट, तेज, अमीर, लोकप्रिय बनो कि दुनिया आपकी प्रशंसा करे, एकदम परफेक्ट और अमेजिंग रहो, हर सुबह ब्रेकफास्ट से पहले एक सुनहरे दिन की कल्पना करो, और अपनी सुपर कार में बैठ कर अपने सुपर आलीशान ऑफिस पहुँचो, जहाँ पर आप कमाल के काम कर रहें होंगे।

पॉजिटिव थिंग एक बकवास बात है
कभी आपने तहसली से बैठ ये सोचा है कि ये सभी सलाहें-वही खुश रहने और पॉजिटिव रहने की बातें, जो हम अक्सर हमेशा से सुनते आये हैं-ये सब उन्हीं बातों के बारे में होती हैं, जिनकी हमारे पास कमी होती है, इसका मुख्य फोकस इस बात पर होता है कि आपकी निजी कमियाँ या असफलता क्या हैं, और फिर उन्हें दूर करने पर ज़ोर दो। आप पैसा कमाने का बेस्ट तरीका सीखते हैं क्यूंकि आपको लगता है कि आपके पास पैसों की कमी है, आप डेटिंग और रिश्ते सुधारने की सलाह अपनाते हैं क्यूंकि आपको लगता है कि कोई आपको प्यार नहीं करता, ज्यादा सफल होने के लिए आप अजीब विजुलाइजेशन (मानसिक-दर्शन) की एक्सरसाइज करने लगते हैं, क्यूंकि आपको लगता है कि आप अभी तक उतने सफल नहीं हैं, यह बस हमे बार-बार याद दिलाता है कि हम क्या नहीं हैं, हमारे पास किस चीज़ की कमी है, और हमे क्या होना चाहिये था। आप जितना बेहतर बनने पर ज़ोर देते हैं, उतने ही असंतुष्ट होते हैं, ऐसे ही किसी चीज़ की चाह अपने आप में यह साबित करती है कि आपके पास वह चीज़ है ही नहीं। आप जिंदगी में जितने ज्यादा प्यार और खुशी की कामना करते हैं, उतना ही अकेलापन और डर आप में घर कर जाता है, भले ही आप एक भरे-पूरे घर में बैठे हों। एक विशवस्त आदमी को यह साबित करने की जरुरत नहीं है कि उसे खुद पर विशवास है, एक अमीर आदमी को दूसरो के सामने अपने पैसो का प्रदर्शन करने की कोई जरूरत नहीं है या तो आप अमीर या या नहीं हो, अगर आप हर पूरे समय कुछ और होने का सपना देखते हैं, तो आप बेध्यानी में उसी भाव पर ज़ोर दे रहें हैं, जो आप नहीं हैं इससे आप नकली दुनिया से ज्यादा जुड़ने लगते हैं, और अपनी पूरी जिंदगी खुशी और सन्तुष्टि की चाह का पीछा करने में निकाल देते हैं। लगातार खुशी की तलाश में रहकर आप कभी खुश नहीं रह सकते, इसी तरह जीवन का अर्थ तलाशते  हुए आप कभी जीवन जी ही नहीं पायेंगे।

शायद अब आप मेरे कहने का मतलब समझ चुके होंगे की मैं आपको क्या समझाना चाह रहा हूँ आप कोई और मत बनिये, आप जो हो वो हो इसमें कोई बुराई नहीं है कि आप अमीर हो या नहीं हो, इस दुनिया में हर तरह के लोग हैं और चाहे वो एवरेज हो या नहीं हो, एक्सीलेंट हो या नहीं हो, इसमें कोई बुराई नहीं है, आप जैसे हो वैसे हो और यही अच्छा है और इसी में ख़ुशी है अपनी जिंदगी जीने के लिए।
धन्यवाद!

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